देश के किसी भी थाने में कराई जा सकेगी एफआईआर, ईमेल अथवा मोबाइल से दर्ज होगी रिपोर्ट कानून में नए बदलाव
देश के किसी भी थाने में कराई जा सकेगी एफआईआर, ईमेल अथवा मोबाइल से दर्ज होगी रिपोर्ट
कानून में नए बदलाव
नए प्रावधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी केस में फोन या ईमेल के जरिए थाने को सूचना देगा। पुलिस को फौरन FIR दर्ज करनी होगी।
देश के कानून में आम लोगों को सुविधा देने के लिए कई नए प्रावधान किए जा रहे हैं। जिसमें से आने वाले माह के 1 जुलाई से कानून में जो नए प्रावधान होने जा रहे हैं, उनमें सबसे जरूरी रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया है। नए प्रावधान के हिसाब से कोई भी व्यक्ति किसी भी केस में मोबाइल या ईमेल के जरिए थाने को सूचना देगा। पुलिस को फौरन रिपोर्ट दर्ज करनी होगी। हां परंतु यह भी आवश्यक है कि पीड़ित या उसके सहयोगी को तीन दीवार के भीतर थाने पहुंचकर पुलिस की दर्ज रिपोर्ट में हस्ताक्षर करना आवश्यक होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि होता क्या है कि अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि ठगी, लूट और कई बार मारपीट की घटना के कई दिन बाद भी पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं करती ऐसे में पीड़ितों को केस दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर काटने पड़ते हैं, नए प्रावधान से ऐसी शिकायतें अब नहीं रहेंगी।
१ जुलाई से मिलेगी राहत…
कॉल पर शिकायत करते ही पुलिस को फौरन केस दर्ज करना होगा। यही नहीं कोई भी आवेदक या सूचनकर्ता देश के किसी भी कोने में हुई घटना की रिपोर्ट कभी भी किसी दूसरे राज्य में पहुंचकर करवा सकेगा।
जैसे कोरबा का कोई व्यक्ति अगर दिल्ली या मुंबई जाता है। वहां उसके साथ कोई घटना हो गई। किसी कारणवश या उस समय वहां के थाने पहुंचकर शिकायत नहीं कर सका और उसे फौरन लौटना पड़ा तो, वह रायपुर के किसी भी थाने में पहुंचकर उस घटना की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।
पुलिस यहां जीरो में FIR दर्ज कर केस डायरी संबंधित थाने को ट्रांसफर करेगी। इसके अलावा जांच के नाम पर पुलिस कोई केस लंबा नहीं खींच सकेगी। 14 दिन में DSP रैंक के अफसर को जांच करनी होगी।
गंभीर केस के आरोपियों को हथकड़ी लगाकर भी कोर्ट में पेश किया जा सकेगा।
शादी का प्रलोभन देकर दुष्कर्म के मामलों में धारा-69 के तहत केस दर्ज होंगे।
गंभीर संगठित अपराध धारा-111 के दायरे में आएंगे। अभी तक धारा-34 दर्ज होती थी।
छोटे संगठित अपराध जैसे जुआ खेलना, परीक्षा में नकल के लिए धारा 112 के तहत केस। ये गैरजमानती हैं। अब तक जुआ में 13 जुआ एक्ट में थाने से बेल मिलती थी।
छोटे बच्चों को अपराध के लिए प्रेरित करने वालों पर धारा-95 के तहत कार्रवाई होगी।
राजद्रोह समाप्त होगा, पर अब 152 के तहत केस दर्ज होगा। सजा न्यूनतम 3 से बढ़ाकर 7 साल।
आम आदमी किसी को अपराध करते कपड़ लेता है तो 6 घंटे में पुलिस को सौंपना होगा।
नाबालिग से रेप के दोषी को उम्रकैद या फांसी होगी।
पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब धारा 63, 69 होगी।हत्या की धारा 302 थी, अब यह 101 होगी। गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा होगी।
मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा होगी।
वाहन से किसी के घायल होने पर ड्राइवर अगर पीड़ित को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी। हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी।स्नैचिंग के लिए कानून नहीं है, अब कानून बन गया है। सिर पर लाठी मारने वाले पर अभी सामान्य झगड़े की धारा लगती है। अब विक्टिम के ब्रेन डेड की स्थिति में दोषी को 10 साल की सजा मिलेगी।
ट्रायल के मामले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी। पहले यह जरूरी नहीं था।
किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस विक्टिम को देगी।
अगर आरोपी 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा।
गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है।
अब ट्रायल कोर्ट को फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा।मुकदमा समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा। फैसले के 7 दिन के भीतर सजा सुनानी होगी।दया की याचिका दोषी ही कर सकता है। अभी NGO या कोई संस्थान दया याचिकाएं दाखिल करता था।
भारतीय न्याय संहिता में क्या बड़े बदलाव हुए
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, हिट एंड रन, मॉब लिंचिंग पर सजा का प्रावधान।डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं।IPC में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है।33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है।83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ा दी गई है।छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
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